![गांव की भूतिया हवेली](https://vedmantra.in/wp-content/uploads/2025/01/bhutiya-haweli.jpeg)
गांव की भूतिया हवेली
यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव की है, जहां एक पुरानी हवेली को लोग भूतिया मानते थे। कहते हैं कि कई साल पहले इस हवेली में एक जमींदार और उसकी पत्नी रहते थे। जमींदार बेहद क्रूर और लालची था। एक रात जमींदार ने अपनी पत्नी को गुस्से में मार डाला और उसकी लाश को हवेली के तहखाने में दफना दिया। उसके बाद से हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं।
अजीब घटनाओं की शुरुआत
लोगों का कहना था कि रात के समय हवेली से किसी औरत के रोने की आवाज़ें आती थीं। कई लोगों ने एक सफेद साड़ी में लिपटी महिला को खिड़की पर खड़े देखा, जो रात के अंधेरे में धीरे-धीरे गायब हो जाती थी। कोई भी उस हवेली के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था, खासकर रात के समय।
किशोरों की हिम्मत
एक दिन गांव के चार किशोरों ने तय किया कि वे हवेली में जाकर सच्चाई का पता लगाएंगे। उनके दोस्त उन्हें रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन वे माने नहीं।
रात के करीब 12 बजे वे चारों उस हवेली में घुस गए। हवेली के अंदर जाते ही वहां अजीब सी ठंड महसूस होने लगी। दीवारों पर लगे पुराने चित्र जैसे उन्हें घूर रहे हों। एक चित्र में वही महिला थी, जिसे लोग खिड़की पर देखते थे।
तहखाने की डरावनी सच्चाई
जैसे ही वे तहखाने की ओर बढ़े, सीढ़ियों से किसी के दौड़ने की आवाज़ें आने लगीं। उनमें से एक ने टॉर्च जलाकर देखा, लेकिन कोई नजर नहीं आया। तहखाने का दरवाजा भारी था, लेकिन उन्होंने किसी तरह उसे खोल लिया। अंदर अंधेरा था और हवा में एक अजीब सी दुर्गंध थी।
तहखाने में घुसते ही उन्हें दीवार पर खून के धब्बे दिखाई दिए। तभी अचानक, एक जोरदार चीख सुनाई दी। चारों ने पलटकर देखा, तो एक सफेद साड़ी पहने औरत खड़ी थी, जिसके चेहरे पर खून था। उसकी आंखें जलती हुई अंगारों जैसी थीं।
भागने की कोशिश
डर के मारे चारों चिल्लाते हुए बाहर की ओर भागे। जैसे ही वे दरवाजे के पास पहुंचे, दरवाजा अपने आप बंद हो गया। महिला की हंसी पूरे हवेली में गूंजने लगी। चारों किसी तरह खिड़की तोड़कर बाहर निकले और गांव में आकर बेहोश हो गए।
अंतिम परिणाम
सुबह जब उन्होंने गांव वालों को सब बताया, तो एक बुजुर्ग ने कहा, “वह जमींदार की पत्नी की आत्मा है, जो अभी तक न्याय के लिए भटक रही है। जब तक हवेली में उसकी हड्डियां दफन हैं, वह आत्मा शांति नहीं पाएगी।”
इसके बाद गांव वालों ने तहखाने में खुदाई की और महिला की हड्डियों को निकालकर विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया। कहते हैं कि इसके बाद से हवेली में कोई भूतिया घटना नहीं हुई।
लेकिन आज भी जो उस हवेली के पास जाता है, उसे एक ठंडी हवा और सिहरन महसूस होती है, जैसे वह आत्मा अब भी वहां अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हो।