![Kundli Matching](https://vedmantra.in/wp-content/uploads/2024/12/1612511113Kundali-Matching.jpg)
कुंडली मिलन में वर-बधू के सुखमय जीवन के लिए कुंडली का मिलान किया जाता है. कुंडली मिलान विवाह के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह विवाह योग्य जोड़े की कुंडलियों को मिलाकर उनके भविष्य, सामंजस्य और विवाह की सफलता की संभावना का आकलन करने की प्रक्रिया है। यहाँ कुंडली मिलान के विभिन्न पहलुओं और विधियों का विवरण दिया गया है:
कुंडली मिलान के मुख्य पहलू:
- गुण मिलान:
- वर्ण (1 अंक): दंपति के सामाजिक और मानसिक समानता।
- वश्य (2 अंक): जोड़े की आपसी आकर्षण और नियंत्रण की प्रवृत्ति।
- तारा (3 अंक): दंपति के स्वास्थ्य और दीर्घायु की संगति।
- योनि (4 अंक): दंपति की शारीरिक और यौन संगति।
- ग्रह मैत्री (5 अंक): जोड़े की मानसिक संगति और आपसी समझ।
- गण (6 अंक): जोड़े के स्वभाव की संगति।
- भकूट (7 अंक): विवाह जीवन की समग्र स्थिति।
- नाड़ी (8 अंक): संतानों की संगति और स्वास्थ्य।
- मांगलिक दोष:
- मांगलिक दोष का विश्लेषण करना कि वर या वधू के कुंडली में मंगल की स्थिति कैसी है।
- अगर दोनों में से किसी एक की कुंडली में मांगलिक दोष है, तो उपाय या विशेष परिस्थितियों को देखा जाता है।
- नाड़ी दोष:
- नाड़ी दोष का मिलान करते समय देखा जाता है कि दंपति की नाड़ी एक जैसी है या अलग-अलग।
- नाड़ी दोष होने पर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में विवाह को संभव माना जा सकता है।
- दोष और योग:
- कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष या शुभ योग का विश्लेषण करना।
- कालसर्प दोष, पित्र दोष, आदि का निरीक्षण करना।
कुंडली मिलान के तरीके :
- जन्म विवरण संग्रह:
- वर और वधू के जन्म की तारीख, समय और स्थान की जानकारी ली जाती है।
- कुंडली निर्माण:
- इन जानकारियों के आधार पर दोनों की जन्म कुंडली बनाई जाती है।
- गुण मिलान:
- गुण मिलान की विधि के माध्यम से दोनों कुंडलियों का मिलान किया जाता है।
- दोष और योग का विश्लेषण:
- कुंडली में मौजूद विभिन्न दोषों और योगों का विश्लेषण किया जाता है।
- अंतिम परामर्श:
- सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अंतिम परामर्श दिया जाता है कि विवाह शुभ रहेगा या नहीं, और अगर कुछ दोष हैं तो उनके निवारण के उपाय बताए जाते हैं।
कुंडली मिलान के उपाय:
- रत्न धारण: दोषों को दूर करने के लिए उपयुक्त रत्न धारण करना।
- पूजा और हवन: विशेष पूजा और हवन करवाना।
- व्रत और उपवास: मांगलिक दोष निवारण के लिए व्रत रखना।
- दान और पुण्य: ग्रह दोष निवारण के लिए दान करना।
कुंडली मिलान की इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर-बधू दोनों को आगामी जीवन में कोई परेशानी ना आये. क्यूंकि गुण मिलन से ही वर-बधू के साथ होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती है.