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ग्रंथों की संख्या और उनके उपयोग (प्राचीन भारतीय संदर्भ में):
प्राचीन भारत में ग्रंथों को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
1. वेद
वेद भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं।
- कुल संख्या: 4 (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद)
- उपयोग:
- ऋग्वेद: देवताओं की स्तुति, यज्ञों के लिए मंत्र।
- यजुर्वेद: यज्ञ से संबंधित अनुष्ठानों के नियम।
- सामवेद: संगीत के लिए उपयोग किए जाने वाले मंत्र।
- अथर्ववेद: आयुर्वेद, चिकित्सा और तंत्र-मंत्र के सूत्र।
2. उपनिषद
- कुल संख्या: लगभग 108 प्रमुख उपनिषद।
- उपयोग:
- आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष और जीवन के गूढ़ रहस्यों का अध्ययन।
- दर्शन और अध्यात्म का विकास।
3. स्मृतियाँ
- प्रमुख ग्रंथ: मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति।
- उपयोग:
- सामाजिक और धार्मिक नियमों का निर्धारण।
- हिंदू धर्म के धर्मशास्त्र।
4. रामायण और महाभारत
- रामायण: महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित।
- उपयोग: आदर्श जीवन के सिद्धांतों का प्रचार।
- महाभारत: वेदव्यास द्वारा रचित।
- उपयोग: धर्म, राजनीति, कूटनीति और नैतिकता के पाठ।
5. पुराण
- कुल संख्या: 18 महापुराण और 18 उपपुराण।
- उपयोग:
- देवी-देवताओं, सृष्टि, वंश और तीर्थों की जानकारी।
- लोककथाओं और धर्म की शिक्षाएँ।
6. धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र: शासन और अर्थव्यवस्था का प्राचीन ग्रंथ।
- उपयोग:
- राज्य प्रशासन और आर्थिक सिद्धांत।
7. आयुर्वेद ग्रंथ
- प्रमुख ग्रंथ: चरक संहिता, सुश्रुत संहिता।
- उपयोग: चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य।
8. संगीत और नाट्यशास्त्र
- भरत मुनि का नाट्यशास्त्र: कला, संगीत, और नाटक का मूल ग्रंथ।
- उपयोग: नाटक और सांगीतिक प्रस्तुति की तकनीक।
9. गणित और ज्योतिष ग्रंथ
- प्रमुख ग्रंथ: आर्यभटीय, ब्रह्मगुप्त का ब्रह्मस्फुट सिद्धांत।
- उपयोग: गणित, ज्यामिति, खगोलशास्त्र और समय निर्धारण।
10. बौद्ध और जैन ग्रंथ
- त्रिपिटक: बौद्ध धर्म का मुख्य ग्रंथ।
- आगम: जैन धर्म के ग्रंथ।
- उपयोग: धार्मिक और नैतिक शिक्षाएँ।
प्राचीन भारतीय ग्रंथ न केवल धार्मिक बल्कि समाज के हर पहलू जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, कला, और विज्ञान में योगदान करते थे।