कुंडली में कितने प्रकार के योग होते हैं?

ज्योतिष में योग (Yog) का बहुत बड़ा महत्व होता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके आपसी संबंध से कई शुभ और अशुभ योग बनते हैं। ये योग व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

वैदिक ज्योतिष में हजारों योग बताए गए हैं, लेकिन मुख्य रूप से तीन प्रकार के योग होते हैं:

  1. राजयोग (Rajyog) – सफलता और ऐश्वर्य देने वाले योग
  2. धन योग (Dhan Yog) – धन-संपत्ति और समृद्धि के योग
  3. अशुभ योग (Inauspicious Yog) – बाधाएं और कष्ट देने वाले योग

अब हम इन तीनों को विस्तार से समझते हैं।


1. राजयोग (Rajyog) – सफलता और उच्च पद प्राप्त करने के योग

राजयोग बनने पर व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पद, प्रसिद्धि और समृद्धि प्राप्त करता है। ये योग तब बनते हैं जब कुंडली में शुभ ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।

मुख्य राजयोग:

गजकेसरी योग – चंद्रमा और गुरु एक-दूसरे से केंद्र में हों तो व्यक्ति बुद्धिमान और सफल होता है।
पंच महापुरुष योग – मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनि उच्च राशियों में केंद्र भाव (1, 4, 7, 10) में हों तो व्यक्ति महान कार्य करता है।
चंद्र-मंगल योग – चंद्रमा और मंगल का एक साथ होना व्यक्ति को धनवान बनाता है।
भद्र, रुचक, हंस, मालव्य, शश योग – ये पंच महापुरुष योग हैं, जो व्यक्ति को उच्च पद, सत्ता और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
दुर्गा योग – लग्न में शुभ ग्रहों की स्थिति से व्यक्ति साहसी और शक्तिशाली बनता है।


2. धन योग (Dhan Yog) – धन-संपत्ति और समृद्धि के योग

धन योग बनने से व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न बनता है। ये योग तब बनते हैं जब कुंडली में धन भाव (2, 11) और लाभ भाव (5, 9) मजबूत होते हैं।

मुख्य धन योग:

लक्ष्मी योग – यदि कुंडली में शुक्र और गुरु शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति अत्यधिक धनवान बनता है।
धन योग – द्वितीय (2) और एकादश (11) भाव के स्वामी केंद्र या त्रिकोण में हों तो व्यक्ति धनवान होता है।
कुबेर योग – कुंडली में चंद्रमा, शुक्र और गुरु की अच्छी स्थिति से अपार धन-संपत्ति मिलती है।
चंद्र-मंगल धन योग – चंद्रमा और मंगल की युति से व्यक्ति मेहनती और धनवान बनता है।
विद्या योग – पंचम भाव का स्वामी मजबूत हो और बुध अच्छा हो तो व्यक्ति शिक्षा से धन अर्जित करता है।


3. अशुभ योग (Ashubh Yog) – बाधाएं और कष्ट देने वाले योग

कुछ योग ऐसे भी होते हैं जो जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष लाते हैं।

मुख्य अशुभ योग:

कालसर्प योग – यदि कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाएं, तो व्यक्ति को संघर्ष और बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
ग्रहण योग – यदि सूर्य या चंद्रमा राहु या केतु के साथ हो, तो व्यक्ति मानसिक तनाव और बाधाओं का सामना करता है।
पित्र दोष योग – नौवें भाव में अशुभ ग्रह होने से पूर्वजों से जुड़े कष्ट मिल सकते हैं।
दर्भार योग – यदि शनि और राहु छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों तो व्यक्ति को कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं।
कुज दोष (मांगलिक योग) – मंगल यदि पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो विवाह में समस्याएं आती हैं।


अन्य महत्वपूर्ण योग

🔹 सौभाग्य योग – यदि लग्न और नवम भाव में शुभ ग्रह हों तो व्यक्ति का भाग्य अच्छा होता है।
🔹 विद्या योग – पंचम और नवम भाव का शुभ प्रभाव व्यक्ति को शिक्षित और ज्ञानी बनाता है।
🔹 भ्रातृ योग – तीसरे भाव में शुभ ग्रह होने से भाई-बहन से सहयोग मिलता है।
🔹 सुख योग – चौथे भाव में चंद्रमा और शुभ ग्रह होने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि मिलती है।
🔹 दीर्घायु योग – अष्टम भाव में शुभ ग्रह होने से व्यक्ति की उम्र लंबी होती है।


निष्कर्ष

राजयोग – जीवन में सफलता, प्रसिद्धि और उच्च पद देता है।
धन योग – व्यक्ति को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाता है।
अशुभ योग – जीवन में बाधाएँ और संघर्ष लाते हैं।
कुछ योग जन्मजात होते हैं, जबकि कुछ जीवन में कर्म और उपाय से बदले जा सकते हैं।

यदि आप अपनी कुंडली के अनुसार जानना चाहते हैं कि कौन-से योग आपकी कुंडली में हैं, तो अपनी जन्म तिथि, समय और स्थान बताइए, ताकि मैं सटीक विश्लेषण कर सकूं। 😊🙏

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